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प्राथमिक बाजार क्या है? अर्थ, कार्य, लाभ और हानि – Primary Market Explained in Hindi

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वर्तमान समय में अधिकतर लोग ऐसे निवेश विकल्पों को चुन रहे है जो व्यवसायों से जुड़े हो और जिनमें अधिक रिटर्न कमाया जा सके जैसे की स्टॉक्स, बॉन्ड आदि। इस तरह की सिक्योरिटीज को जब पहली बार जारी किया जाता है तो वह 'प्राथमिक बाजार' में जारी की जाती है। अगर आप नहीं जानते की 'प्राथमिक बाजार क्या है' और इसका अर्थ, कार्य, लाभ और हानि आदि क्या है, तो यह लेख पूरा पढे क्युकी इसमें हम आपको प्राथमिक बाजार की पूरी जानकारी (Primary Market Explained in Hindi) आसान भाषा में देने वाले है।

प्राथमिक बाजार क्या है ? इसका अर्थ - What is Primary Market in Hindi?

अगर आप स्टॉक्स शेयर, बॉन्ड, नोट और बिल आदि में निवेश करने में रुचि रखते हो तो और चाहते हो की आप इन निवेश विकल्पों में निवेश करत हुए अच्छा रिटर्न बना पाए तो ऐसे में जरूरी है की आप प्राथमिक बाजार अर्थात Primary Market के बारे में जानकारी रखो। अगर आप नहीं जानते की आखिर प्राथमिक बाजार क्या है (What is Primary Market in Hindi?) तो जानकारी के लिए बता दे की प्राइमेरी मार्केट एक स्त्रोत होता है नई सिक्योरिटीज के लिए। इसके द्वारा कंपनियां, सरकार व अन्य समूह अपने लिए फाइनैन्सिंग करती है।

Primary Market के द्वारा कंपनियां, सरकार और अन्य समूह Debt या फिर Equity आधारित Secruities के द्वारा Financing करते है अर्थात अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए इन्वेस्टमेंट प्राप्त करते हैं। प्राइमरी बाजार में इन्वेस्टमेंट बैंकिंग मुख्य किरदार निभाते हैं जो कंपनियों, सरकारों और अन्य समूहों की सिक्योरिटीज की कीमत तय करके उन्हें निवेशकों तक पहुंच जाते हैं। एक बार जब यह सिक्योरिटीज निवेशक तक पहुंच जाती है उसके बाद यह द्वितीय मार्केट में बड़े पैमाने पर ट्रेड होने लगती है।

थोड़े सरल शब्दों में समझा जाए तो प्राथमिक बाजार वह बाजार होते हैं जहां संस्थाएं पहली बार अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए निवेश प्राप्त करने के लिए सिक्योरिटीज को बनाकर बेचती है। सामान्य तौर पर Stock, Corporate Bonds, Government Bonds, Notes, Bills आदि पहली बार संस्थाओं के द्वारा प्राइमरी मार्केट अर्थात प्राथमिक बाजार में ही जारी किए जाते हैं। सिक्योरिटी इसकी कीमत इन्वेस्टमेंट बैंक के द्वारा तय की जाती है इसके बाद या सिक्योरिटीज निवेशक को तक जाती है और उसके बाद सेकेंडरी मार्केट में ट्रेड होती है।

प्राथमिक बाजार कैसे काम करता है - How Primary Market Works in Hindi

अगर आप प्राथमिक बाजार को सटीक रूप से समझाना चाहते हो तो इसके लिए आपको यह जानना जरूरी है कि आखिर प्राथमिक बाजार कैसे काम करता है (How Primary Market Works in Hindi)? तो जानकारी के लिए बता दे की प्राथमिक बाजार का काम होता है किसी भी कंपनी के संस्था के सिक्योरिटीज को पहली बार लोगों तक लाना। जब किसी भी कंपनी को निवेश चाहिए होता है और इसके लिए वह अपनी सिक्योरिटीज को बेचती है तो वह सबसे पहले यह काम प्राथमिक बाजार के द्वारा करती है।

अगर प्रक्रिया के बारे में बात की जाए तो अगर किसी कंपनी को अपने बिजनेस के विस्तार के लिए या फिर उसके इंप्रूवमेंट के लिए निवेश प्राप्त करना होता है और इसके लिए वह सिक्योरिटीज को बेचने का तरीका चुनती है तो ऐसे में वह प्राथमिक बाजार में अपनी सिक्योरिटीज जारी करती है जिसके लिए वह इन्वेस्टमेंट बैंक्स जैसे विकल्पों का सहारा लेती है। एक बार जब कंपनी की सिक्योरिटीज प्राथमिक बाजार में आ जाती है तो उसके बाद वह निवेशकों के द्वारा द्वितीय बाजार में पहुंचती है।

प्राथमिक बाजार के प्रकार - Types of Primary Market in Hindi

अगर आप प्राथमिक बाजार की पूरी जानकारी प्राप्त करना चाहते हो तो इसके लिए यह जरूरी है कि आप प्राथमिक बाजार के प्रकारों को भी जान ले। अगर आप प्राथमिक बाजार की अधिक जानकारी नहीं रखते तो जानकारी के लिए बता दे की अलग-अलग तरीके से प्राथमिक बाजार के कई प्रकार बताए जाते हैं लेकिन अगर बात की जाए मुख्य रूप से प्राथमिक बाजार के प्रकार (Types of Primary Market in Hindi), तो वर्तमान समय मेमन वह 5 तरह के बताए जाते है, जो कुछ इस तरह है:

Public Issues: पब्लिक इश्यू प्राथमिक बाजार भाव प्राथमिक बाजार होते हैं जब कंपनी निवेशकों को सीधे तौर पर स्टॉक जारी करती है। इस प्रकार के बाजार में इनिशियल पब्लिक आफरिंग शामिल है जिसके द्वारा वर्तमान समय में अधिकतर कंपनियां पब्लिक होती है।

Follow-on Public Offering: जो कंपनी पहले से स्टॉक मार्केट में होती है वह भी कई बार अपने नए स्टॉक जारी करके बाजार से निवेश प्राप्त करती है और इसे फॉलो ओन पब्लिक आफरिंग कहा जाता है जिसे सामान्य भाषा में हम एफपीओ भी कहते हैं।

Right Issue: कई बार निवेश प्राप्त करने के लिए संस्थाओं के द्वारा पहले से मौजूद शेयर होल्डर को उनके पास मौजूद शहर के अनुपात में अन्य शेयर जारी किए जाते हैं, इस प्रकार के प्राथमिक बाजार को राइट इश्यू कहा जाता है।

Private Placement: जब जब कंपनियां या फिर कहा जाए तो संस्थाएं व्यक्ति विशेष से या फिर विशेष निवेश समूहों से निवेश प्राप्त करती है तो ऐसे में इस प्रकार के प्राथमिक बाजार को प्राइवेट प्लेसमेंट कहा जाता है।

Preferential Allotment: प्राइवेट प्लेसमेंट की तरह ही जब सिक्योरिटीज के अलॉटमेंट निवेशकों के एक स्पेसिफिक समूह को की जाती है तो ऐसे में इस प्रकार की प्राथमिक बाजार को प्रेफरेंशियल एलॉटमेंट कहा जाता है।

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प्राथमिक बाजार की विशेषताएं - Primary Market Specification in Hindi

अगर आप प्राथमिक बाजार को गहराई से समझाना चाहते हैं तो इसके लिए यह बेहद ही जरूरी है कि आप प्राथमिक बाजार की विशेषताएं भी जान ले। अगर आप प्राथमिक बाजार की अधिक जानकारी नहीं रखते तो सामान्य से बात है कि आपको प्राथमिक बाजार की विशेषताओं के बारे में भी पता नहीं होगा। तो जानकारी के लिए बता दे की प्राथमिक बाजार की कई विशेषताएं (Primary Market Specification in Hindi) है, जिनमे से कुछ मुख्य विशेषताएं इस प्रकार है:

Transparency:

क्योंकि प्राथमिक बाजार रेगुलेट होते हैं और एक कानूनी ढांचे के अंतर्गत कार्य करते हैं तो ऐसे में यह काफी हद तक ट्रांसपेरेंट होते हैं और साथ ही पूरी तरह से सुरक्षित भी होते हैं। इनमें होने वाली ट्रांजैक्शंस पूरी तरह से सुरक्षित रहती है और उनमें पारदर्शिता भी होती है, जिसका मुख्य कारण इनकी रेगुलेटरी बॉडी होती है।

Fair Pricing:

प्राथमिक बाजार की सबसे बड़ी विशेषताओं में से एक विशेषता यह भी है कि इसमें गैर प्राइसिंग अर्थात उचित कीमत पर सिक्योरिटीज मिलती है तो ऐसे में सामान्य तौर पर प्राइमरी बाजार से किए जाने वाले निवेश पर निवेशकों को काफी अच्छा रिटर्न मिलता है। हालांकि कई बार यह विपरीत भी हो सकता है।

Boosts Economy:

प्राथमिक बाजार के द्वारा कंपनियों और संस्थाओं को निवेश मिलता है जिसके चलते वह आगे बढ़ती है और जब देश की कंपनियों और संस्थाएं आगे बढ़ती है तो ऐसे में लोगों को रोजगार मिलता है और अन्य कई तरह के सकारात्मक प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। तो ऐसे में प्राथमिक बाजार इकोनॉमी को बूस्ट करने का काम भी करते है।

Availability To All:

प्राथमिक बाजार सामान्य तौर पर सभी के लिए उपलब्ध है और सभी प्रकार के निवेशक इसमें निवेश कर सकते हैं। इनिशियल पब्लिक आफरिंग और कुछ अन्य प्रकार के प्राथमिक बाजारों के द्वारा सम्मानित तौर पर सभी लोग संस्थाओं की सिक्योरिटीज में निवेश कर पाते है और उनसे अच्छा रिटर्न प्राप्त करत है।

प्राथमिक बाजार के लाभ और हानियां - Advantage and Disadvantages of Primary Market in Hindi

अगर आप प्राथमिक बाजार की पूरी जानकारी प्राप्त करना चाहते हो तो इसके लिए यह बेहतरीन जरूरी है कि आपको प्राथमिक बाजार से संबंधित लाभ और हानियों के बारे में भी जानकारी हो। अगर आप नहीं जानते कि आखिर प्राथमिक बाजार के लाभ और हानियां (Advantage and Disadvantages of Primary Market in Hindi) है तो जानकारी के लिए बता दे की प्राथमिक बाजार के कई लाभ और हानि है जिनमें से अगर मुख्य लाभ और हानियों के बारे में बात की जाए तो वह इस प्रकार है:

लाभ:

  • प्राथमिक बाजार निवेशकों को ट्रांसपेरेंसी प्रदान करता है।
  • प्राथमिक बाजार में ट्रांजैक्शन सुरक्षित होती है।
  • प्राथमिक बाजार में सामान्य तौर पर शेयर प्राइसिंग मिलती है।
  • प्राथमिक बाजार अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है।
  • प्राथमिक बाजार सभी निवेशकों के लिए उपलब्ध है।

हानि:

  • प्राथमिक बाजार कई बार काफी टाइम कंजूमिंग साबित हो सकता है।
  • प्राथमिक बाजार में अंडर सब्सक्रिप्शन का डर बना रहता है।
  • प्राथमिक बाजार में संस्थाओं को कई बार रेगुलेटरी से समस्या आती है।

निष्कर्ष!

प्राथमिक बाजार में निवेश करके निवेशक काफी अच्छा रिटर्न प्राप्त करते हैं परंतु काफी सारे लोग प्राथमिक बाजार से मिलने वाले अच्छे रिटर्न का लाभ केवल इसलिए नहीं उठा पाए क्योंकि वह प्राथमिक बाजार के बारे में अधिक जानकारी नहीं रखते। यही कारण है कि हमने यह लेख तैयार किया है जिसमें हमने प्राथमिक बाजार की पूरी जानकारी (Primary Market Explained in Hindi) आसान भाषा में दी है और प्राथमिक बाजार क्या है? अर्थ, कार्य, लाभ और हानि आदि के बारे में बताया है।

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FAQ!

प्रश्न: प्राथमिक बाजार के कार्य क्या हैं?

उत्तर: प्राथमिक बाजार का कार्य संस्थाओं की सिक्योरिटीज को पहली बार निवेशकों तक पहुंचना है इसके बाद वह निवेशकों के द्वारा द्वितीय बाजार में जाती है और वहां ट्रेड होती है। प्राथमिक बाजार से संस्थाएं निवेश प्राप्त करती है सिक्योरिटीज के बदले में।

प्रश्न: प्राथमिक बाजार का महत्व क्या है?

उत्तर: प्राथमिक बाजार निवेशकों को संस्थाओं के द्वारा पहली बार जारी की जाने वाली सिक्योरिटीज अर्थात प्रतिभूतियों में निवेश करने की सुविधा देता है तो वही संस्थाओं को प्रतिभूतियों के बदले में निवेश प्राप्त करने का विकल्प देता है।

प्रश्न: भारत में प्राथमिक बाजार का नियमन कौन करता है?

उत्तर: अगर आप नहीं जानते कि भारत में प्राथमिक बाजार का नियमन कौन करता है तो जानकारी के लिए बता दे कि भारत में प्राथमिक बाजार का नियमन किया जाता है 'भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी)' के द्वारा।